Class 8 science Chapter 4 Hindi Medium | Materials: Metals and Non-Metals | Padarth dhatu evn adhatu | पदार्थ: धातु और अधातु
Class 8 Science Chapter 4 in Hindi Short Notes
कक्षा: | 8th Class |
अध्याय: | Chapter 4 |
नाम: | पदार्थ: धातु और अधातु |
भाषा: | Hindi |
पुस्तक: | विज्ञान |
Video | Youtube.com/rkyadav |
हमारे चारों ओर की सभी वस्तुएँ पदार्थ हैं। जैसे पेड़, पौधे, जल, गैस, टेबल, कुर्सी, लोहा, कम्प्यूटर, बोतल, जूते, चप्प्ल, आदि।
वस्तु, जो हवा में कुछ स्थान घेरती है तथा जिसमें भार हो, पदार्थ कहलाती है।
साधारण तौर पर पदार्थ के दो गुण होते हैं, भौतिक गुण तथा रासायनिक गुण
- भौतिक गुण
पदार्थ के वैसे गुण जिसे पदार्थों के घटकों में बिना परिवर्तन किये ही अवलोकन किया जा सकता है, भौतिक गुण कहलाते हैं। रूप-रंग, चमकीलापन, अघातवर्ध, तन्य, क्वथनांक, गलनांक, आदि पदार्थ के कुछ भौतिक गुण हैं। - रासायनिक गुण
पदार्थ के वैसे गुण जो रासायनिक प्रतिक्रिया के क्रम में या रासायनिक प्रतिक्रिया के बाद अवलोकन किये जाते है, रासायनिक गुण कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में कोई पदार्थ रासायनिक प्रतिक्रिया के क्रम में किस प्रकार व्यवहार करते हैं, रासायनिक गुण कहलाते हैं।
किसी भी पदार्थ का रासायनिक गुण उसके रासायनिक प्रतिक्रिया में देखे जा सकते हैं। जैसे पदार्थ का ऑक्सीजन, जल, आदि के साथ संयोग करने का गुण आदि रासायनिक गुण के कुछ उदाहरण हैं।
पदार्थ का वर्गीकरण: धातु एवं अधातु
materials metals and non metals class 8 science Chapter 4 metals and non metals
धातु तथा अधातु भौतिक गुणों
भौतिक तथा रासायनिक गुणों के आधार पर पदार्थ को दो भागों में बाँटा जा सकता है। पदार्थों के ये दो वर्ग हैं धातु तथा अधातु।
- धातु
- धातुओं के भौतिक गुण
अघातवर्धनीयता, तन्यता, कठोरता, चमकीलापन, ध्वानिक, विद्युत तथा उष्मा की चालकता आदि धातुओं के भौतिक गुण हैं- अघातवर्धनीयता
धातु अघातवर्धनीय होते हैं। धातु का वह गुण जिसके कारण किसी धातु को पीटकर पतले चादर (शीट) में बदला जा सकता है, अघातवर्धनीयता कहलाता है।
अघातवर्धनीयता धातु का एक विशिष्ट अभिलक्षण है जिसके कारण किसी धातु को पीट कर पतले शीट (चादर) में परिवर्तित किया जा सकता है। - तन्यता (डक्टिलिटी)
धातु का एक विशिष्ट अभिलाक्षणिक गुण जिसके कारण किसी धातु को खींचकर तार बनाया जा सकता है तन्यता (डक्टिलिटी) कहलाता है।
अत: धातुएँ तन्य (डक्टाइल) होते हैं। यही कारण है कि तार धातु के बने होते हैं। जैसे लोहे के तार, ताम्बे के तार, एल्युमिनियम के तार, आदि |
तन्यता (डक्टिलिटी) धातु का एक अभिलाक्षणिक गुण (कैरेस्टिक प्रोपर्टी) होता है। - कठोरता (हार्डनेश)
प्राय: सभी धातु कठोर होते हैं। जैसे कि लोहा, कॉपर, एल्युमिनियम, इत्यादि।
धातु के इसी कठोरता वाले गुण के कारण पानी के जहाज, वायुयान, पुलों में लगने वाले गार्टर, मशीन के कल पुर्जे, आदि लोहे के बने होते हैं।
परंतु कुछ धातु काफी मुलायम होते हैं। जैसे सोडियम, लिथियम, आदि। सोडियम, जो कि एक धातु है को किसी चाकू से भी आसानी से काटा जा सकता है। - भौतिक अवस्था (फिजिकल स्टेट)
सभी धातु ठोस होते हैं। जैसे लोहा, ताम्बा, एल्युमिनियम, सोना, चाँदी, आदि।
परंतु पारा (मरकरी), जो कि एक धातु है, तरल होता है। मरकरी ही एक ऐसा धातु है, जो कमरे के तापमान पर भी तरल होता है। - चमकीलापन
सभी धातु चमकीले होते हैं। जैसे लोहा, ताम्बा, सोना, चाँदी, अल्युमिनियम, आदि। धातु के इसी चमकीलेपन के गुण के कारण सोना, चाँदी आदि का उपयोग गहने (जेवर) बनाने में होता है। - ध्वानिक [अनुनादी (Sonorous)]
धातु को पीटने पर खनखनाहट की या झंकार जैसी आवाज निकलती है। दूसरे शब्दों में धातु को पीटने पर गूँजने वाली आवाज आती है। धातु से उप्तन्न होने वाली इस विशेष प्रकार की ध्वनि को अनुनादी ध्वनि कहा जाता है। धातु के द्वारा अनुनादी ध्वनि का उत्पन्न किया जाना धातु का एक अभिलाक्षणिक गुण होता है। यही कारण है कि मंदिर या स्कूल के घंटे, वाद्य यंत्र के तारा आदि धातु के बने होते हैं। धातु के इस विशेष अभिलाक्षणिक गुण को अंगरेजी में सोनोरिटी (Sonority) कहा जाता है। - विद्युत तथा उष्मा की सुचालकता
धातुएँ विद्युत तथा ध्वनि के सुचालक होते हैं। यही कारण है कि बिजली के तार तथा खाना बनाने के बर्तन धातु की बनी होती हैं। जैसे कि बिजली के तार ताम्बे या एल्युमिनियम के बने होते हैं। खाना बनाने के बर्तन लोहे, ताम्बे, या एल्युमिनियम से बनाये जाते हैं। - गलनांक तथा क्वथनांक (मेल्टिंग तथा ब्यायलिंग प्वाइंट)
धातु के मेल्टिंग तथा ब्यायलिंग प्वाइंट (गलनांक तथा क्वथनांक) काफी उच्च होते हैं। जैसे कि लोहा 1538oC पर पिघलता है तथा 2862oC पर उबलता है। ताम्बा का गलनांक 1085oC तथा क्वथनांक 2562oC होता है।
- अघातवर्धनीयता
- धातुओं के भौतिक गुण
- अधातु
- अधातु के भौतिक गुण
- अघातवर्घनीयता
अधातुओं में अघातवर्घनीय नहीं होता है।
जब किसी अधातु को हथौड़े से पीटा जाता है, तो वह टुकड़ों में टूट जाता है। - तन्यता (डक्टिलिटी)
अधातु तन्य नहीं होते हैं।
जब किसी अधातु को खींचा जाता है, तो वह टुकड़ों में टूट जाता है। - कठोरता
अधातु कठोर नहीं होते हैं, बल्कि धातुओं की तुलना में काफी कम कठोर होते हैं। जैसे सल्फर, फॉस्फोरस, आदि।
हालाँकि हीरा, जो कि कार्बन (एक अधातु) का ही के रूप है, प्राकृतिक में मिलने वाला सबसे कठोर पदार्थ है। हीरा एक अपवाद वाला अधातु है जो अत्यधिक कठोर होता है। - भौतिक अवस्था
अधातु सभी भौतिक अ वस्थाओं में पाया जाता है, अर्थात कुछ अधातु ठोस, कुछ द्रव तथा कुछ अधातु गैसीय अवस्था में होते हैं। जैसे सल्फर, फॉस्फोरस आदि ठोस होते हैं, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, आदि गैस होते हैं तथा ब्रोमीन, आयोडीन आदि तरल अवस्था में होते हैं। - चमकीलापन
अधातु चमकीले नहीं बल्कि डल दिखने वाले होते हैं। जैसे फॉस्फोरस, सल्फर आदि चमकीले नहीं होते हैं।
परंतु ग्रेफाइट एक अधातु है लेकिन यह काफी चमकीला होता है। ग्रेफाइट कार्बन का एक अपरूप है। - ध्वानिक [अनुनादी (Sonorous)]
अधातु को पीटने पर खनखनाहट की आवाज नहीं आती है। अर्थात अधातुएँ अनुनादी नहीं होते हैं। - विद्युत तथा उष्मा की चालकता
अधातुएँ विद्युत तथा उषमा के कुचालक होते हैं।
परंतु ग्रेफाइड जो एक एक अधातु कार्बन का ही एक रूप है, विद्युत का सुचालक होता है। ग्रेफाइट अधातुओं में एक अपवाद है, जो कि विद्युत का सुचालक है। - गलनांक एवं क्वथनांक
अधातुओं के गलनांक तथा क्वथनांक धातुओं की तुलना में काफी कम होते हैं। जैसे कि सल्फर का गलनांक 115.20C है।
- अघातवर्घनीयता
- अधातु के भौतिक गुण
धातु तथा अधातु के रासायनिक गुण
धातुओं की ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया
धातु + ऑक्सीजन ⟶ धातु ऑक्साइड
धातु जैसे लोहा, ताम्बा, एल्युमिनियम, मैग्निशियम आदि ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया कर संबंधित ऑक्साइड बनाते हैं।
लोहा (आयरन) का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया
जब लोहा (आयरन) जल की उपस्थिति में ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो आयरन ऑक्साइड बनाता है। आयरन ऑक्साइड को जंग (रस्ट) के नाम से जाना जाता है।
आयरन (Fe) + ऑक्सीजन (O2) + जल (H2) ⟶ आयरन ऑक्साइड (Fe2O3)
आयरन का जल की उपस्थिति में ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया की घटना को लोहे में जंग लगना कहते हैं।
मैग्निशियम का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया
जब मैग्निशियम के फीते को हवा की उपस्थिति में जलाया जाता है, तो मैग्निशियम ऑक्साइड बनता है।
मैग्निशियम (Mg) + ऑक्सीजन (O2) ⟶ मैग्निशियम ऑक्साइड (MgO)
कॉपर (ताम्बे) का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया
जब कॉपर धातु को ऑक्सीजन की उपस्थिति में गर्म किया जाता है, तो कॉपर ऑक्साइड बनता है।
कॉपर (Cu) + ऑक्सीजन (O2) ⟶ कॉपर ऑक्साइड (CuO)
कॉपर ऑक्साइड काले रंग का होता है।
धातु के ऑक्साइड का गुण
- धातु के ऑक्साइड क्षारीय होते हैं।
- जब मैग्निशियम ऑक्साइड को जल में घोलकर उसमें लाल लिटमस पत्र को डाला जाता है, तो लिटमस पत्र का रंग नीला हो जाता है। लाल लिटमस पेपर का नीले रंग में बदलना बतलाता है कि, मैग्निशियम ऑक्साइड क्षारीय गुण वाला होता है।
- जब जंग़ (आयरन ऑक्साइड) को जल में मिलाकर उसमें लाल लिटमस पेपर डुबाया जाता है, तो लिटमस पेपर का रंग नीला हो जाता है।
- अत: जंग, जो कि आयरन (लोहा) का ऑक्साइड है, क्षारीय गुण वाला होता है।
धातु का जल के साथ प्रतिक्रिया
कुछ धातु जल के साथ प्रतिक्रिया का हाइड्रोक्साइड बनाते हैं।
धातु + जल ⟶ धातु का हाइड्रोक्साइड
सोडियम धातु का जल के साथ प्रतिक्रिया
जब सोडियम धातु जल के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो सोडियम हाइड्रोक्साइड बनाता है।
सोडियम (Na) + जल ⟶ सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH)
पोटैशियम धातु का जल के साथ प्रतिक्रिया
जब पोटैशियम धातु जल के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो पोटैशियम हाइड्रोक्साइड बनता है।
पोटैशियम (K) + जल (H2) ⟶ पोटैशियम हाइड्रोक्साइड (KOH)
मैग्निशियम धातु का जल के साथ प्रतिक्रिया
मैग्निशियम धातु जल के साथ प्रतिक्रिया कर मैग्निशियम ऑक्साइड बनाता है।
मैग्निशियम (Mg) + जल (H2) ⟶ मैग्निशियम ऑक्साइड (MgO)
एल्युमिनियम का जल के साथ प्रतिक्रिया
एल्युमिनियम साधारण परिस्थितिओं में ठंढ़े जल के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है। लेकिन एल्युमिनियम जलवाष्प के साथ प्रतिक्रिया कर एल्युमिनियम ऑक्साइड बनाता है।
एल्युमिनियम (Al) + जलवाष्प (H2) ⟶ एल्युमिनियम ऑक्साइड (Al2O3)
लोहे का जल के साथ प्रतिक्रिया
लोहा ठंढ़े जल के साथ बहुत धीरे प्रतिक्रिया करता है। लेकिन जब लोहे पर जलवाष्प प्रवाहित किया जाता है, तो आयरन ऑक्साइड बनता है।
आयरन + जलवाष्प ⟶ आयरन ऑक्साइड
लेड, कॉपर, चाँदी तथा सोना का जल के साथ प्रतिक्रिया
लेड, कॉपर, चाँदी तथा सोना जैसे धातु जल के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते हैं।
लेकिन जब कॉपर को अधिक समय तक नमी वाले स्थान में खुला छोड़ दिया जाता है, तो कॉपर पर एक हरे रंग की परत जम जाती है। यह हरे रंग की परत कॉपर हाइड्रोक्साइड तथा कॉपर कार्बोनेट का मिश्रण होता है।
कॉपर + नमीयुक्त हवा (जल + कार्बन डायऑक्साइड + ऑक्सीजन) ⟶ कॉपर हाइड्रोक्साइड + कॉपर कार्बोनेट
धातु का अम्ल (एसिड) के साथ प्रतिक्रिया
धातु का अम्ल (एसिड) के साथ प्रतिक्रिया करने से हाइड्रोजन गैस बनाता है।
धातु + अम्ल ⟶ हाइड्रोजन गैस
उदाहरण
जिंक धातु का अम्ल के साथ प्रतिक्रिया
जिंक जब सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो हाइड्रोजन गैस तथा जिंक सल्फेट बनता है।
जिंक (Zn) + सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) ⟶ हाइड्रोजन गैस (H2) + जिंक सल्फेट (ZnSO4)
जब एक जलती हुई माचिस की तीली को टेस्ट ट्यूब जिसमें प्रतिक्रिया हुयी है, के मुँह के पास लाया जाता है, तो तीली एक “पॉप” की आवाज के साथ जलने लगती है। यह “पॉप” की विशेष आवाज हाइड्रोजन गैस के निकलने की अभिलाक्षणिक जाँच है।
कैल्शियम मेटल का हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया
जब कैल्शियम धातु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो हाइड्रोजन गैस बनती है।
कैल्शियम (Ca) + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) ⟶ हाइड्रोजन (H2) + कैल्शियम क्लोराइड
उसी प्रकार, अधिकांश धातु अम्ल के साथ प्रतिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
कॉपर का अम्ल के साथ प्रतिक्रिया
कॉपर मेटल तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है। लेकिन कॉपर सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करता है।
धातुओं का क्षार के साथ प्रतिक्रिया
धातु के क्षार के साथ अभिक्रिया करने से हाइड्रोजन गैस बनाता है।
धातु + क्षार ⟶ हाइड्रोजन गैस
उदाहरण
जिंक मेटल का सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ प्रतिक्रिया
जब जिंक धातु सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो हाइड्रोजन गैस बनाता है।
जिंक (Zn) + सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) ⟶ हाइड्रोजन (H2) + सोडियम जिंकेट
अल्युमिनियम का सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ प्रतिक्रिया
एल्युमिनियम मेटल सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस बनाता है।
एल्युमिनियम (Al) + सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) ⟶ हाइड्रोजन (H2) + सोडियम एल्युमिनेट
अधातु का ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया
सल्फर का ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया
जब सल्फर को हवा में जलाया जाता है, तो सल्फर डाइऑक्साइड बनता है।
सल्फर (S) + ऑक्सीजन (O2) ⟶ सल्फर डाइऑक्साइड (SO2)
जब सल्फर डाइऑक्साइड को जल में घोला जाता है, तो सल्फ्यूरस अम्ल बनता है।
सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) + जल (H2) ⟶ सल्फ्यूरस अम्ल (H2SO3)
चूँकि सल्फ्यूरस अम्ल एक अम्ल है, अत: यह नीले लिटमस पेपर को लाल रंग में बदल देता है।
अधातु के ऑक्साइड के गुण
अधातुओं के ऑक्साइड प्राय: आम्लिक होते हैं। .
फॉस्फोरस का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया
जब फॉस्फोरस जो एक अधातु है, को हवा में छोड़ दिया जाता है, तो यह जलने लगता है। तथा इस प्रतिक्रिया में यह फॉस्फोरस का ऑक्साइड बनाता है।
चूँकि फॉस्फोरस ऑक्सीजन के साथ अति क्रियाशील है, अत: फॉस्फोरस को जल में संग्रहित किया जाता है।
अधातुओं का जल के साथ प्रतिक्रिया
अधातु प्राय: जल के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते हैं।
अधातुओं का अम्ल के साथ प्रतिक्रिया
अधातु प्राय: अम्ल के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते हैं।
अधातु का क्षार के साथ प्रतिक्रिया
अधातु क्षार के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, परंतु ये प्रतिक्रिया जटिल होते हैं। अत: इन प्रतिक्रियाओं का पाठन उच्च क्लास में होता है।
विस्थापन अभिक्रियाएँ
अधिक क्रियाशील धातु द्वारा धातु के यौगिक से कम क्रियाशील धातु का विस्थापन किया जाना विस्थापन अभिक्रिया या विस्थापन प्रतिक्रिया कहलाता है।
उदाहरण
जिंक का कॉपर सल्फेट के जलीय विलयन के साथ प्रतिक्रिया। जब जिंक धातु को कॉपर सल्फेट के जलीय विलयन में डाला जाता है, तो कॉपर अलग हो जाता है तथा जिंक सल्फेट बनता है।
कॉपर सल्फेट (CuSO4) + जिंक (Zn) ⟶ जिंक सल्फेट (ZnSO4) + कॉपर(Cu)
इस अभिक्रिया में जिंक मेटल कॉपर से अधिक अभिक्रियाशील है जिसके कारण जिंक कॉपर सल्फेट के जलीय विलयन से कॉपर को विस्थापित कर देता है।
लोहे के कील का कॉपर सल्फेट के जलीय विलयन से अभिक्रिया
जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के जलीय विलयन में डाला जाता है, तो कॉपर अलग हो जाता है तथा आयरन सल्फेट बनता है।
कॉपर सल्फेट (CuSO4) + आयरन (Fe) ⟶ आयरन सल्फेट (FeSO4) + कॉपर (Cu)
इस अभिक्रिया में आयरन कॉपर से अधिक अभिक्रियाशील है। अत: आयरन कॉपर सल्फेट के विलयन से कॉपर को विस्थापित कर देता है।
कॉपर का ज़िंक सल्फेट के जलीय विलयन के साथ अभिक्रिया
जब कॉपर को जिंक सल्फेट के जलीय विलयन में डाला जाता है, तो कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है।
जिंक सल्फेट (ZnSO4) + कॉपर (Cu) 𘞆 कोई प्रतिक्रिया नहीं
चूँकि कॉपर जिंक से कम अभिक्रियाशील है, अत: कॉपर जिंक सल्फेट के विलयन से जिंक को विस्थापित नहीं कर पाता है।
धातु तथा अधातु के उपयोग
धातु के कुछ उपयोग
(a) लोहे के अघातवर्धनीय तथा कठोर होने के कारण इसका उपयोग पानी के जहाज, हवाईजहाज, रेल के डिब्बे, रेल की पटरियों, पुलों के गार्टर आदि बनाने में किया जाता है।
(b) एल्युमिनियम तथा कॉपर जैसे धातु का उपयोग बिजली के तार बनाने में होता है। क्योंकि धातु तन्य तथा विद्युत के सुचालक होते हैं।
(c) एल्युमिनियम तथा कॉपर जैसे धातु का उपयोग खाने बनाने के बर्तन बनाने में किया जाता है। क्योंकि धातु अघातवर्धनीय तथा उष्मा के सुचालक होते हैं।
(d) चमकीले, अघातवर्धनीय तथा तन्य होने के कारण सोने तथा चाँदी का उपयोग गहने बनाने में होता है।
अधातुओं के कुछ उपयोग
(a) अधातु जीवन के लिए आवश्यक तत्व हैं। ऑक्सीजन जो कि एक अधातु है, को जीव जंतु श्वास के द्वारा लेते हैं। बिना ऑक्सीजन के जीव जंतु जीवित नहीं रह सकते हैं।
(b) अधातु जैसे कि नाइट्रोजन का उपयोग खाद बनाने में होता है। खाद का उपयोग खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में होता है।
(c) अधातु जैसे कि कार्बन का उपयोग जल के शुद्धिकरण में होता है।
(e) आयोडीन, जो कि एक अधातु है, के घोल का उपयोग एंटीबायोटिक के रूप में कटे, छिले तथा घावों के ऊपर लगाने में किया जाता है।
(f) फॉस्फोरस का उपयोग पटाखे बनाने तथा दिया सलाई बनाने में किया जाता है।
सारांश
(1) पदार्थों का वर्गीकरण
भौतिक तथा रासायनिक गुणों के आधार पर पदार्थ को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है। (a) धातु तथा (b) अधातु
(2) धातु तथा अधातु के भौतिक गुण
(a) धातु प्राय: कठोर, अघातवर्धनीय, तन्य, अनुनादी, चमकीले, विद्युत और उष्मा के सुचालक तथा उच्च गलणांक तथा क्वथनांक वाले होते हैं।
(b) जबकि अधातु प्राय: मुलायम, अ-अघातवर्धनीय, अ-तन्य, अनुनादी नहीं, चमकीले सतह वाले नहीं, विद्युत तथा उष्मा के कुचालक तथा निम्न गलनांक तथा क्वथनांक वाले होते हैं।
धातु और अधातुओं में अपवाद
(a) धातु कठोर होते हैं, लेकिन धातु जैसे सोडियम और लिथीयम काफी मुलायम होते हैं। ये इतने मुलायम होते हैं कि इन्हें किसी चाकू की मदद से भी आसानी से काटा जा सकता है।
(b) धातु ठोस होते हैं। परंतु पारा (मरकरी) एक ऐसा धातु है जो कमरे के तापमान पर तरल होता है।
(c) अधातु कठोर नहीं होते हैं। लेकिन हीरा जो कि कार्बन का एक रूप है तथा एक अधातु है, प्राकृतिक में अबतक पाया जाने वाला सबसे कठोर पदार्थ है।
(c) अधातु चमकीले नहीं होते हैं। लेकिन ग्रेफाइट जो कि कार्बन का एक रूप है तथा एक अधातु है, काफी चमकीला होता है।
(d) आयोडीन एक अधातु होते हुए भी चमकीला होता है।
(e) अधातु विद्युत के कुचालक होते हैं, पर ग्रेफाइट जो कि एक अधातु कार्बन का ही एक अपरूप है, विद्युत का सुचालक है।
धातु और अधातु के रासायनिक गुण
धातु तथा अधातु का ऑक्सीजन से अभिक्रिया
अधिकांश धातु ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया कर संबंधित ऑक्साइड बनाते हैं।
धातु + ऑक्सीजन ⟶ धातु के ऑक्साइड
अधिकांश अधातु ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया कर संबंधित अधातु के ऑक्साइड बनाते हैं।
अधातु + ऑक्सीजन ⟶ अधातु के ऑक्साइड
धातु तथा अधातु के ऑक्साइड के गुण
धातु के ऑक्साइड क्षारीय होते हैं जबकि अधातुओं के ऑक्साइड आम्लिक होते हैं।
धातुओं और अधातुओं का जल के साथ अभिक्रिया
कुछ धातु जल के साथ अभिक्रिया कर संबंधित हाइड्रोक्साइड बनाते हैं। कुछ धातु जैसे लेड, कॉपर, सिल्वर, गोल्ड आदि जल के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते हैं। हालाँकि जब कॉपर अधिक दिनों तक नमीयुक्त हवा के सम्पर्क में रहता है तो उसपर एक हरे रंग की पतली परत जम जाती है। यह हरे रंग की परत कॉपर हाइड्रोक्साइड तथा कॉपर कार्बोनेट का मिश्रण होता है।
प्राय: अधातु जल के साथ अभिक्रिया नहीं करता है।
धातु और अधातु का एसिट के साथ अभिक्रिया
धातु एसिड के अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस बनाता है।
प्राय: अधातु एसिड के साथ अभिक्रिया नहीं करता है।
धातु तथा अधातुओं का क्षार के साथ अभिक्रिया
धातु क्षार के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस देता है।
अधातु भी क्षार के साथ अभिक्रिया करता है परंतु ये अभिक्रियाएँ अधिक जटिल होती हैं इसलिए उच्च कक्षा में पढ़ायी जाती हैं।
विस्थापन अभिक्रिया
अधिक अभिक्रियाशील मेटल द्वारा कम अभिक्रियाशील मेटल के यौगिक के जलीय घोल से कम अभिक्रियाशील मेटल को विस्थापित करना विस्थापन अभिक्रिया कहलाता है।
धातु तथा अधातु के उपयोग
धातु के कुछ उपयोग
(a) लोहे के अघातवर्धनीय तथा कठोर होने के कारण इसका उपयोग पानी के जहाज, हवाईजहाज, रेल के डिब्बे, रेल की पटरियों, पुलों के गार्टर आदि बनाने में किया जाता है।
(b) एल्युमिनियम तथा कॉपर जैसे धातु का उपयोग बिजली के तार बनाने में होता है। क्योंकि धातु तन्य तथा विद्युत के सुचालक होते हैं।
(c) एल्युमिनियम तथा कॉपर जैसे धातु का उपयोग खाने बनाने के बर्तन बनाने में किया जाता है। क्योंकि धातु अघातवर्धनीय तथा उष्मा के सुचालक होते हैं।
(d) चमकीले, अघातवर्धनीय तथा तन्य होने के कारण सोने तथा चाँदी का उपयोग गहने बनाने में होता है।
अधातुओं के कुछ उपयोग
(a) अधातु जीवन के लिए आवश्यक तत्व हैं। ऑक्सीजन जो कि एक अधातु है, को जीव जंतु श्वास के द्वारा लेते हैं। बिना ऑक्सीजन के जीव जंतु जीवित नहीं रह सकते हैं।
(b) अधातु जैसे कि नाइट्रोजन का उपयोग खाद बनाने में होता है। खाद का उपयोग खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में होता है।
(c) अधातु जैसे कि कार्बन का उपयोग जल के शुद्धिकरण में होता है।
(e) आयोडीन, जो कि एक अधातु है, के घोल का उपयोग एंटीबायोटिक के रूप में कटे, छिले तथा घावों के ऊपर लगाने में किया जाता है।
(f) फॉस्फोरस का उपयोग पटाखे बनाने तथा दिया सलाई बनाने में किया जाता है।
Class 8 Science Chapter 4 Question Answer for text Book
रश्न संख्या (1) निम्नलिखित में से किसको पीटकर पतली चादरों में परिवर्तित किया जा सकता है?
(a) जिंक
(b) फॉस्फोरस
(c) सल्फर
(d) ऑक्सीजन
उत्तर (a) जिंक
ब्याख्या धातु अघातवर्धनीय होते हैं। अघातवर्धनीयता धातु का एक अभिलाक्षणिक गुण होता है।
दिये गये विकल्पों में केवल (a) जिंक ही एक धातु है तथा अन्य सभी अधातु हैं। अत: विकल्प (a) जिंक ही सही उत्तर है।
प्रश्न संख्या (2) निम्नलिखित में कौन सा कथन सही है?
(a) सभी धातुएँ तन्य होती हैं।
(b) सभी अधातुएँ तन्य होती हैं।
(c) सामान्यत: धातुएँ तन्य होती हैं।
(d) कुछ अधातुएँ तन्य होती हैं।
उत्तर (a) सभी धातुएँ तन्य होती हैं।
ब्याख्या तन्यता धातु का एक अभिलाक्षणिक गुण है जिसके कारण धातुओं को खींचकर तार बनाया जा सकता है।
अत: विकल्प (a) सभी धातुएँ तन्य होती हैं। सही उत्तर है।
प्रश्न संख्या (3) रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
(a) फॉस्फोरस बहुत ________ अधातु है।
उत्तर (a) फॉस्फोरस बहुत अभिक्रियाशील अधातु है।
ब्याख्या फॉस्फोरस एक बहुत ही अभिक्रियाशील अधातु है। फॉस्फोरस को हवा में रखने पर यह जलने लगता है। चूँकि अधातु जल के साथ अभिक्रिया नहीं करता है, इसलिए फॉस्फोरस को जल में संग्रहित किया जाता है।
(b) धातुएँ उष्मा और ______ की ______ होती हैं।
Answer (b) धातुएँ उष्मा और विद्युत की सुचालक होती हैं।
ब्याख्या सुचालकता धातु का एक अभिलाक्षणिक गुण है। सभी धातुएँ विद्युत तथा उष्मा के चालक होते हैं। यही कारण है कि बिजली के तार तथा खाने बनाने के बर्तन धातुओं के बने होते हैं।
अधातुएँ विद्युत और उष्मा के कुचालक होते हैं। परंतु ग्रेफाइट जो कि एक अधातु कार्बन का ही अपरूप है विद्युत का चालक होता है।
(c) आयरन, कॉपर की अपेक्षा ________ अभिक्रियाशील है।
उत्तर (c) आयरन, कॉपर की अपेक्षा अधिक अभिक्रियाशील है।
ब्याख्या आयरन के कॉपर की अपेक्षा अधिक क्रियाशील होने के कारण जब आयरन को कॉपर सल्फेट के जलीय विलयन में डाला जाता है, तो आयरन कॉपर को विस्थापित कर आयरन सल्फेट बनाता है। ऐसे अभिक्रिया को विस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।
(d) धातुएँ, अम्लों से अभिक्रिया कर _______ गैस बनाती हैं।
उत्तर (d) धातुएँ, अम्लों से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस बनाती हैं।
ब्याख्या अधिकांश धातुएँ अम्लों के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस बनाती हैं। जैसे कि जब जिंक धातु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है तो हाइड्रोजन गैस तथा जिंक सल्फेट बनता है।
प्रश्न संख्या (4) यदि कथन सही है तो ‘T’ और यदि गलत है तो कोष्टक में ‘F’ लिखिए।
(a) सामान्यत: अधातु अम्लों से अभिक्रिया करते हैं।
उत्तर: F
ब्याख्या सामान्यत: अधातु अम्लों के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है। लेकिन धातुएँ अम्लों के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन बनाती हैं।
(b) सोडियम बहुत अभिक्रियाशील धातु है।
उत्तर T
ब्याख्या सोडियम एक बहुत ही अभिक्रियाशील धातु है। सोडियम जल के साथ बहुत तेजी से प्रतिक्रिया करता है प्रतिक्रिया इतनी तेज होती है कि इस प्रतिक्रिया के क्रम में आग लग जाती है तथा सोडियम हाइड्रोक्साइड तथा हाइड्रोजन गैस बनता है। सोडियम हवा में उपस्थित नमी के साथ भी तुरत प्रतिक्रिया करने लगता है, इसलिए सोडियम को किरासन तेल में संग्रहित किया जाता है।
(c) कॉपर, जिंक सल्फेट के विलयन से जिंक विस्थापित करता है।
उत्तर F
ब्याख्या कॉपर, जिंक से कम अभिक्र्याशील है। जिसके कारण कॉपर, जिंक सल्फेट के विलयन से जिंक को विस्थापित नहीं कर पाता है। इसलिए जब कॉपर को जिंक सल्फेट के जलीय विलयन में डाला जाता है तो कोई प्रतिक्रिय नहीं होती है।
(d) कोयले को खींच कर तारें प्राप्त की जा सकती हैं।
उत्तर F
ब्याख्या: अधातु तन्य नहीं होते हैं। चूँकि कोयला, कार्बन जो कि एक अधातु है का एक रूप है, अत: कोयले को खींचकर तारें प्राप्त नहीं की जा सकती हैं।
प्रश्न संख्या (5) नीचे दी गयी सारणी में गुणों की सूची दी गयी है। इन गुणों के आधार पर धातुओं और अधातुओं में अंतर कीजिए।
ग़ुण | धातु | अधातु |
---|---|---|
(1) दिखावट | ||
(2) कठोरता | ||
(3) अघातवर्धनीयता | ||
(4) तन्यता | ||
उष्मा चालन | ||
विद्युत चालन |
उत्तर
गुण | धातु | अधातु |
---|---|---|
दिखावट | चमकीला | अचमकीला (डल) |
कठोरता | कठोर | नरम (कम कठोर) |
अघातवर्धनीयता | अघातवर्धनीय | अ-अघातवर्धनीय (हथौड़े से पीटने पर टूट जाने वाले) |
तन्यता | तन्य | अ-तन्य (खींचने पर टूट जाने वाला) |
उष्मा चालन | उष्मा का सुचालक | उष्मा का कुचालक |
विद्युत चालन | विद्युत का सुचालक | विद्युत का कुचालक |
प्रश्न संख्या (6)निम्नलिखित के लिए कारण दीजिए:
(a) ऐलुमिनिय्म की पन्नी का उपयोग खाद्य सामग्री को लपेटने में किया जाता है।
उत्तर जब ऐलुमिनियम हवा में उपस्थित ऑक्सीजन से अभिक्रिया करता है, तो उसके ऊपर एलुमिनियम ऑक्साइड की एक पतली परत जम जाती है। एलुमिनियम ऑक्साइड की यह पतली परत एलुमिनियम को किसी दूसरे पदार्थ से अभिक्रिया करने से रोक देती है।
यही कारण है कि ऐलुमिनियम की पन्नी का उपयोग खाद्य सामग्री को लपेटने में किया जाता है ताकि एलुमिनियम की पन्नी के ऊपर जमी हुई एलुमिनियम ऑक्साइड की पतली परत खाद्य सामग्री को किसी दूसरे पदार्थ से अभिक्रिया कर खराब होने से बचाये रखे और लपेटी गयी खाद्य सामग्री अधिक समय तक खराब नहीं हो।
(b) निमज्जन छड़ें (इमरशन रॉड) धात्विक पदार्थों से निर्मित होती हैं।
उत्तरचूँकि धातु विद्युत का सुचालक होती हैं इसलिए निमज्जन छड़ें (इमरशन रॉड) धात्विक पदार्थों से निर्मित होती हैं ताकि उसे विद्युत से जोड़कर पानी गर्म किया जा सके।
(c) कॉपर, जिंक को उसके लवण के विलयन से विस्थापित नहीं कर सकता।
Answer कॉपर, जिंक से कम क्रियाशील होता है जिसके कारण कॉपर जिंक को उसके लवण के विलयन से विस्थापित नहीं कर सकता। वहीं दूसरी ओर जिंक, कॉपर को उसके लवण के विलयन से विस्थापित कर देता है।
(d) सोडियम और पोटैशियम को मिट्टी के तेल में रखा जाता है।
उत्तर सोडियम और पोटैशियम अत्यधिक अभिक्रियाशील धातु हैं, जो कि हवा में उपस्थित जल के कणों से भी प्रतिक्रिया करते हैं। यही कारण है कि सोडियम और पोटैशियम को हवा में उपस्थित जल के कणों से अभिक्रिया करने से सुरक्षित रखने के लिए मिट्टी के तेल में संरक्षित किया जाता है।
प्रश्न संख्या (7) क्या आप नींबू के अचार को एलुमिनियम पात्रों में रख सकते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर नहीं, आप नींबू के अचार को एलुमिनियम पात्रों में नहीं रख सकते हैं। इसका कारण यह है कि धातु अम्ल के साथ प्रतिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस बनाता है। चूँकि एलुमिनियम एक धातु है तथा नींबू में अम्ल रहता है अत: नींबू के अचार को एलुमिनियम के पात्रों में रखने पर वह नींबू में वर्तमान अम्ल के साथ प्रतिक्रिया कर अचार को खराब कर देगा।
प्रश्न संख्या (8) नीचे दी गई सारणी के कॉलम I में कुछ पदार्थ दिये गये हैं। कॉलम II में उनके कुछ उपयोग दिये गये हैं। कॉलम I के पदार्थों का कॉलम II से सही मिलान करिए।
कॉलम I | कॉलम II |
---|---|
(1) गोल्ड | (1) थर्मामीटर |
(2) आयरन | (2) बिजली के तार |
(3) एलुमिनियम | (3) खाद्य सामग्री लपेटना |
(4) कार्बन | (4) आभूषण |
(5) कॉपर | (5) मशीनें |
(6) मर्करी | (6) ईंधन |
उत्तर
कॉलम I | कॉलम II |
---|---|
(1) गोल्ड | (4) आभूषण |
(2) आयरण | (5) मशीनें |
(3) एलुमिनियम | (3) खाद्य सामग्री लपेटना |
(4) कार्बन | (6) ईंधन |
(5) कॉपर | (2) बिजली के तार |
(6) मर्करी | (1) थर्मामीटर |
प्रश्न संख्या (9) क्या होता है जब (संबंधित अभिक्रियाओं के शब्द समीकरण लिखिए)
(क) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल कॉपर प्लेट पर डाला जाता है?
उत्तर
कॉपर एक बहुत ही कम अभिक्रियाशील धातु है, तथा तनु अम्ल के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है। कॉपर अधिक तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया नहीं करता है लेकिन थोड़ी अधिक सान्द्रता वाले सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है।
जब थोड़ा अधिक सान्द्रता वाले सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस बनाता है।
कॉपर (Cu) + सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) ⟶ हाइड्रोजन (H2) + कॉपर सल्फेट (CuSO4)
हालाँकि कॉपर तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ बिल्कुल ही प्रतिक्रिया नहीं करता है जबकि सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ करता है।
(ख) लोहे की कील, कॉपर सल्फेट के विलयन में रखी जाती है?
उत्तर जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में रखा जाता है, तो लोहा कॉपर को विस्थापित कर देता है तथा लोहे का सल्फेट (आयरन सल्फेट) बनाता है।
लोहे की कील (Fe) + कॉपर सल्फेट (CuSO4) ⟶ लोहे का सल्फेट (आयरन सल्फेट) (FeSO4) + कॉपर (Cu)
इस समीकरण में कॉपर सल्फेट का नीला रंग, आयरन सल्फेट के बनने के कारण हल्के हरे रंग में बदल जाता है।
प्रश्न संख्या (10) सलोनी ने लकड़ी के कोयले का एक जलता हुआ टुकड़ा लिया और उससे उत्सर्जित होने वाली गैस को एक परखनली में इकट्ठा किया –
(क) वह गैस की प्रकृति कैसे ज्ञात करेगी?
(b) इस प्रक्रम में होने वाली सभी अभिक्रियाओं के शब्द समीकरण लिखिए।
उत्तर
(क) वह गैस की प्रकृति कैसे ज्ञात करेगी?
वह गैस की प्रकृति को परखनली के मुँह के पास जल से गीला किया हुआ लिटमस पेपर को ले जाकर करेगी।
जब जल से भीगा हुआ नीला लिटमस पेपर परखनली के मुँह के पास ले जाया जाता है तो वह लाल हो जाता है, यह बतलाता है कि परखनली में जमा किया गया गैस आम्लिक है।
(b) इस प्रक्रम में होने वाली सभी अभिक्रियाओं के शब्द समीकरण लिखिए।
जब लकड़ी के कोयले को जलाया जाता है, तो कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है।
लकड़ी का कोयला (कार्बन) + हवा (ऑक्सीजन) ⟶ कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
जब जल से भीगे हुए नीले लिटमस पेपर को परखनली के मुँह के पास ले जाया जाता है, तो परखनली में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस जल के साथ अभिक्रिया कर कार्बोनिक अम्ल बनाती है, जो नीले लिटमस पेपर को लाल रंग में बदल देती है।
कार्बन डाइऑक्साइड (CO2 + जल (H2) ⟶ कार्बोनिक अम्ल (H2CO3)
प्रश्न संख्या (11) एक दिन रीता अपनी माँ के साथ आभूषण बिक्रेता की दुकान पर गयी। उसकी माँ ने सुनार को पॉलिश करने हेतु सोने के पुराने आभूषण दिये। अगले दिन जब वे आभूषण वापस लायी तो उन्होंने पाया कि उनका भार कुछ कम हो गया है। क्या आप भार में कमी का कारण बता सकते हैं?
उत्तर
एक्वारेजिया एक बहुत ही शक्तिशाली अम्ल है जिसे एक भाग नाइट्रिक अम्ल तथा 3 भाग हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मिला कर बनाया जाता है। एक्वारेजिया सोने को घुला सकता है जिसे बाद में रासायनिक विधि से फिर वापस प्राप्त किया जा सकता है।
एक्वारेजिया का उपयोग सोने को साफ करने में किया जाता है। सोने के गहनों को साफ करने में एक्वारेजिया की बहुत ही थोड़ी मात्रा का उपयोग किया जाता है। लेकिन कुछ चालाक सोनार सोने के गहनों को साफ करने के क्रम में अधिक एक्वारेजिया का उपयोग कर गहनों से सोने के कुछ भाग को उसमें घुला लेते हैं, तथा बाद में सोना वापस प्राप्त कर लेते हैं।
अत: रीता की माँ ने सोने के गहने को साफ कराने के बाद जब वापस लाई तो उन्होंने पाया कि उसका भार कुछ कम हो गया है, क्योंकि सोनार ने साफ करते समय उनका कुछ सोना चुरा लिया था।