(1) भीष्म पितामह: शिखंडी को सामने रखकर अर्जुन द्वारा पीछे से बाण चलाए । भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान था ।
(2) द्रोणाचार्य : अश्वत्थामा के वध की खबर ,जो कि गलत थी सुनकर द्रोणाचार्य ने हथियार डाल दिये और रथ के पिछले हिस्से में जाकर बैठ गए,जहाँ पांडव सेनापति धृष्टद्युम्न ने उनका सिर काट दिया ।
(3)अभिमन्यु : अभिमन्यु कौरवों के चक्रव्यूह मे घुस तो गया पर बाहर निकलने की कला उसे ज्ञात नही थी ।उसे सात महारथियों ने घेर कर मार डाला ।
(4) कर्ण : जब युद्ध के दौरान कर्ण के रथ का पहिया कीचड़ में धंस गया,तब कर्ण हथियार नीचे रखकर पहिया निकालने की कोशिश करने लगा ।उसी समय अर्जुन ने उसका वध कर दिया ।
) जयद्रथ : जयद्रथ को यह वरदान था कि जो भी उसका सिर काटकर जमीन पर गिरायेगा उसके सिर के हजार टुकड़े हो जायेंगे ।अभिमन्यु के वध के पश्चात अर्जुन ने यह प्रतिज्ञा की थी कि शाम ढलने से पूर्व जयद्रथ का वध करूँगा अन्यथा जलती चिता में प्रवेश करूँगा । संयोग से उस दिन बादल छाने से जयद्रथ को यह आभास हुआ कि शाम ढल गयी है, और वह बाहर निकल आया तभी बादल छँट गए और अर्जुन ने उसका सिर काटकर उसके तप करते हुए पिता की गोद में गिराया,जैसे ही जयद्रथ के पिता खड़े हुए, जयद्रथ का सिर नीचे गिरा और उसके पिता के सिर के हजार टुकड़े हो गए ।
(6) धृष्टद्युम्न और पांडवों के पुत्र ; जिस दिन युद्ध समाप्त हुआ उस रात को अश्वत्थामा ने पांडवों के शिविर में घुसकर सोते हुए धृष्टधुम्न, पांडव पुत्रों और अनेक योद्धाओं को मार दिया था ।